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शतरंज- उपन्यास भाग-7

भाग-7◆


◆सुनंदा के ओ.टी से बाहर आने के बाद◆


सभी ओ.टी के बाहर इंतज़ार ही कर रहें थें की तभी ऑपरेशन खत्म होता है और डॉक्टर कौशल ओटी से निकलकर बाहर आते हैं।
अशोक डॉक्टर के पास जाता है और पूछता है कि सुनंदा कैसी है।
डॉ. कौशल, -"जी.. ऑपेरशन सक्सेसफुल रहा। हम जल्द ही सुनंदा जी को केबिन में शिफ्ट करेंगें। आपलोग उनसे दो धंटे के बाद मिल सकते हैं। पर ध्यान रहें आपलोग उनसे कुछ ऐसी बात ना करें जिससे कि उन्हें कोई टेंशन हो।"
अशोक, -"जी डॉक्टर! हम इस बात का बिल्कुल ध्यान रखेंगें।"
तभी अभय डॉक्टर के पास जाता है और बोलता है, -"डॉक्टर.. हम मम्मी जी का बहुत अच्छे से ध्यान रखेंगें। कोई भी टेंशन वाली बात नही है। और मम्मी जी बहुत जल्द ही पूरी तरह से स्वस्थ्य हो जाएँगी।"
अभय की नौटंकी को देखकर स्नेहा बस उसे घूरती ही चली जा रही थी।
अभय मुस्कुराते हुए स्नेहा की तरफ़ देखता है और उसे आँख मारकर छेड़ता है।
अभय की इस हरक़त से स्नेहा आग-बबूला हो जाती है। वह सब के सामने अभय को बोलती भी तो क्या।
इधर निकिता भी अभय की हरक़त नोटिस कर रही थी। वह फुसफुसाती हुई स्नेहा से बोलती है, -"देख रही है स्नेहा.. ये कैसे हमें जान-बूझ कर छेड़ रहा है। जैसे ये हमें ललकार रहा हो कि हमलोग चाह कर भी अंकल-आंटी को भी कुछ नही बता सकतें।"
स्नेहा, -"तुम बिल्कुल सही कह रही हो निकिता। अभी वक़्त हमारा साथ नही दे रहा। अभी इसका समय बलवान है। पर इसके झूठ का खेल कितने दिन तक चल सकता है। कभी ना कभी तो इसकी असलियत सबके सामने आएगी ही। मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है। मैं जल्दी ही इसे बेनकाब करूँगी।"
थोड़ी देर बाद सुनंदा को ओ.टी से केबिन में शिफ्ट किया जाता है। और उसे होश आ चुका होता है
सबसे पहले अशोक और स्नेहा, सुनंदा से मिलने अंदर जाते हैं।
स्नेहा सुनंदा के बेड के पास जाती है और उसके हाथों को अपने हाथ मे ले कर रोने लग जाती है।
सुनंदा, स्नेहा को दिलासा देते हुए कहती है, -"अरे बेटा तू रो क्यों रही है... मैं बिल्कुल ठीक हूँ। अभी तेरी शादी कल ही हुई है। तुझे तो खुश होना चाहिए।"
अशोक बोलता है, -"सुनंदा तुमने मुझे क्यों नहीं बताया कि ऑफिस में कुछ टेंशन चल रही है और इसी वजह से यह सब हुआ है।
सुनंदा, -"अशोक! आप बेकार में ही चिंता कर रहे हैं। होनी को कौन टाल सकता है। मैंने आपको कुछ नहीं बताया ताकि आप भी टेंशन में आ जाएंगे। तभी डॉक्टर कौशल पीछे से आता है। और अशोक और स्नेहा से बोलता है, -"प्लीज आप लोग इनसे ज्यादा बात ना करें। इन्हें ज्यादा से ज्यादा आराम करने दें।" अशोक, -"जी डॉक्टर हम इस बात का ध्यान रखेंगे।"
अभय, निकिता और मैनेजर अमित भी अंदर आते हैं।
अभय अंदर आते ही सुनंदा के पास जा कर उसके पैर छूता है। और बोलता है, -"मम्मी जी कैसी हैं आप..?"
सुनंदा, -"खुश रहो बेटा! अरे तुम मेरे पैर मत छुओ। क्या तुम मेरे पैर छूकर मुझे पाप चढ़ाओगे।"
अभय, -"क्या मम्मी जी आप भी! इतनी बड़ी बिजनेस वुमन होकर आप इतनी दकियानूसी बातों पर यकीन करती है।"
तभी स्नेहा बोलती है, -" मेरे ख्याल से हमें बाहर चलना चाहिए। और मम्मी को आराम करने देना चाहिए। डॉक्टर ने इन्हें आराम करने को बोला है।
अशोक, -"हाँ स्नेहा बिल्कुल सही कह रही है। हम सब बाहर चलते हैं और सुनंदा को आराम करने देते हैं।"
अभय बोलता है, - "दरअसल पापा जी.. मेरी माँ भी बहुत परेशान थी। मम्मी जी से मिलना चाह रही थी। अब मम्मी जी से जब सब कोई मिल सकते हैं तो क्या मैं अपनी माँ को फोन कर दूँ? वह भी बहुत परेशान हो रही होगी।"
अशोक, -"हाँ बेटा जरूर। यह भी कोई पूछने वाली बात है।" स्नेहा अभय की बात सुनकर मन ही मन बड़बड़ाती है, -"अब ये अपनी माँ को यहाँ क्या तमाशा करने के लिए बुला रहा है..?" अभय की बात सुनकर स्नेहा और निकिता एक दूसरे की तरफ हैरानी भरी नजरों से देखते हैं।
बाहर आते वक्त निकिता स्नेहा से बोलती है,  -"अरे अब ये अपनी माँ को क्यों बुला रहा है?"
स्नेहा, -"फिर से कोई तमाशा शुरू करेंगे माँ-बेटे मिल कर। पर अगर इन्होंने मम्मी के सामने कुछ भी नौटंकी की.. तो फिर मैं चुप नहीं रहूँगी।
निकिता,- "तू शांत हो जा स्नेहा! ज्यादा टेंशन ना ले। मुझे नहीं लगता कि ये कोई नौटंकी करेंगें। क्योंकि देखा नहीं अभय कैसे आंटी के सामने भी अच्छे बनने का नाटक कर रहा था।"
स्नेहा, -"बात तो तू सही कह रही है निकिता। देखती हूँ इसकी माँ आकर क्या नाटक शुरू करती है।"

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सरिता के हॉस्पिटल में आने के बाद क्या नाटक शुरू होगा..
वह सुनंदा देवी से क्या बात करेगी..
यह जानने के लिए जुड़े रहिए इस कहानी के अगले भाग के साथ।
©स्वाति चरण पहाड़ी

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